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Tuesday, 17 January 2017

जानिए, जीएसटी बिल क्या है?


गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के लागू होने की तारीख की घोषणा हो चुकी है। अब 1 जुलाई, 2017 से जीएसटी लागू होगा। केंद्र और राज्यों के बीच डुएल कंट्रोल के मुद्दे पर सहमति बन जाने के बाद जीएसटी के लागू होने का रास्ता साफ हो गया है। जीएसटी काउंसिल की 9वीं बैठक में इसका ऐलान हुआ है। पहले सरकार ने जीएसटी लागू करने की तारीख 1 अप्रैल, 2017 बताई थी।

क्या है GST
वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) एक अप्रत्यक्ष कर है। जीएसटी के तहत वस्तुओं और सेवाओं पर एक समान कर लगाया जाता है। जहां जीएसटी लागू नहीं है, वहां वस्तुओं और सेवाओं पर अलग-अलग टैक्स लगाए जाते हैं। सरकार अगर इस बिल को 2016 से लागू कर देती तो हर सामान और हर सेवा पर सिर्फ एक टैक्स लगेगा यानी वैट, एक्साइज और सर्विस टैक्स की जगह एक ही टैक्स लगेगा। संक्षिप्त में कहे तो भारत में 20 तरह के टैक्स लगते हैं और अब एक टैक्स इन सबकी जगह ले लेगा, और वो होगा जीएसटी।
इससे पूरे देश में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें लगभग एक हो जाएंगी। उत्पादन लागत घटेगी, जिससे उपभोक्ताओं के लिए सामान सस्ता होगा।

जीएसटी के फायदे
● इससे पूरे देश में किसी भी सामान को खरीदने के लिए एक ही टैक्स चुकाना होगा। यानी पूरे देश में किसी भी सामान की कीमत एक ही रहेगी।
● इससे कर की वसूली करते समय कर विभाग के अधिकारियों द्वारा कर में हेराफेरी की संभावना भी कम हो जाएगी।
● इसके लागू होने के बाद राज्यों को मिलने वाला वैट, मनोरंजन कर, लग्जरी टैक्स, लॉटरी टैक्स, एंट्री टैक्स आदि भी खत्म हो जाएंगे। जिससे अभी जिस सामान के लिए 30-35 प्रतिशत टैक्स के रूप में चुकाना पड़ता है वो भी घटकर 20-25 प्रतिशत पर आ जायेगा।
● भारत की ग्रोथ रेट में भी एक से डेढ़ फीसदी की बढ़ोतरी होगी।
● केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) खत्म हो जाएगा। प्रवेश शुल्क और चुंगी भी खत्म हो जाएगी। अलग-अलग टैक्स की बजाय एक टैक्स लगने की वजह से चीजों के दाम घटेंगे और आम उपभोक्ताओं को फायदा होगा।

जीएसटी के किसको होगा नुकसान
जीएसटी लागू होने से राज्यों को डर है कि इससे उन्हें नुकसान होगा क्योंकि इसके बाद वे कई तरह के टैक्स नहीं वसूले पाएंगे जिससे उनका राजस्व कम हो जाएगा। इसे ध्यान में रखते हुए केंद्र ने राज्यों को राहत देते हुए मंजूरी दे दी है कि वे इन वस्तुओं पर शुरुआती सालों में टैक्स लेते रहें। साथ ही, राज्यों का जो भी नुकसान होगा, केंद्र उसकी भरपाई पांच साल तक करेगा।